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द गर्ल इन रूम 105

निकाल लिया।

'बाऊ,' सौरभ ने कहा मेरे हाथ में नौ ग्राम का सोने का बिस्किट था।

'ये असली है?" मैंने कहा।

"हां, भाई और भी हैं क्या?"

मैंने बैग को उलट दिया। पूरे कमरे में टेनिस की गेंदें बिखर गईं। सोने के नौ और बिस्किट बाहर गिर पड़े।

"यह एक किलो सोना है, मैंने कहा कीमत होगी यही कोई तीस लाख रुपए।' 'नहीं, गोलू। यहां पर दाल में बहुत कुछ काला है। तुम क्या कह रहे थे, खिलौनों वाला बक्सा बहुत भारी

'आर्मी वालों को इतना पैसा मिलता है?"

धा?'

'हां, क्यों?" हम दौड़कर बच्चों वाले कमरे में पहुंचे। खिलौनों वाले बक्से में हमें स्पाइडरमैन, सुपरमैन और दूसरे

खिलौनों के नीचे बीस और बिस्किट करीने से सजे हुए मिले। जाहिर है, वो पारले-जी के बिस्किट नहीं थे।

'सबकुछ देश के लिए, मैंने कहा।

"यह तो बहुत गड़बड़झाला है। तो क्या ये ग़लत आदमी है?"

'और शायद, यह क़ातिल भी है। गोलू, चलो इसका कंप्यूटर चेक करते हैं।"

जब सौरभ फ़ैज़ का कंप्यूटर चालू कर रहा था, तो मुझे स्टडी टेबल की चार दराजें दिखाई दीं। 'हमें इन्हें भी देखना चाहिए, ' मैंने कहा।

"यह तो बाबा आदम के जमाने का कंप्यूटर है। बूट अप होने में इतना समय ले रहा है', सौरभ ने कंप्यूटर

मॉनिटर पर आंखें जमाए हुए कहा 'इसको तो मैं ऐसे हैक करूंगा कि देख लेना।'

मैं दराजें चेक करने लगा। नीचे की तीन दराजों में स्टेशनरी और दूसरे जरूरी सामान के अलावा कुछ नहीं

था। लेकिन ऊपर वाली दराज़ लॉक्ड थी। "इसके लिए चाबी की ज़रूरत होगी, मैंने कहा।

'चाबी?' सौरभ ने कुटिलता से मुस्कराते हुए कहा । 'ये कौन-सी चिड़िया का नाम है?" उसने अपनी ड्रिल की ओर इशारा किया। दो मिनट बाद ऊपर की वह दराज़ भी खुल चुकी थी। 'यहां दवाइयां हैं। थोड़ा-बहुत कैश, ' मैंने कहा। और ये ... बाऊ... इतनी सारी ग्रेसी किट्स ।"

"क्या?"

मैंने प्रेगा न्यूज़ के तीन पैकेट निकाले। सौरभ ने एक को खोलकर देखा। उसमें एक प्लास्टिक स्ट्रिप थी. 'इसको कैसे इस्तेमाल करते हैं?" सौरभ ने कहा। 'इस पर मूतते हैं।'

जिसके बीच में एक आयताकार आकृति ।

'फैज़ इस पर मूतता था?" 'तुम चूतिए हो क्या, गोलू? इस पर औरते पेशाब करती हैं। अगर दो लाइनें दिखें तो समझो कि वो प्रेग्रेट

हैं।"

"यह फ़ैज़ की वाइफ का सामान हो सकता है, सौरभ ने उनकी फैमिली पिक्चर की ओर इशारा करते हुए कहा 'शायद, वे तीसरा बच्चा चाहते हों।' मैंने प्रेगा न्यूज़ बॉक्स को चेक किया। उसके एक तरफ एक छोटा सफ़ेद स्टिकर था। स्टिकर पर बारकोड

और टेक्स्ट था, जिसमें 'प्रेगकिट, आईएनआर 50' लिखा था।

'गोलू, तुम्हारे पास जारा की सेफ़ से मिली चीज़ों की तस्वीरें हैं?"

'हां, है तो, ' सौरभ ने कंप्यूटर के की-बोर्ड पर लिखते हुए कहा । 'बाय द वे, इस इंडियट ने अपने कंप्यूटर पर

कोई पासवर्ड भी नहीं डाल रखा है। यानी इसको तो हैक करने की भी जरूरत नहीं पड़ी।'

'तुमने कंप्यूटर खोल लिया?'

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